सरकार ने Multiplex और Single Screen थिएटर में टिकट की अधिकतम कीमत ₹200 तय कर दी है. यह नीति खास तौर पर कन्नड़ फिल्मों को बढ़ावा देने और दर्शकों को राहत देने के लिए लागू की गई है. दक्षिण भारत के कई राज्यों ने पहले ही मूवी टिकटों की अधिकतम सीमा तय कर रखी है. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में पहले से ऐसे नियम लागू हैं, लेकिन कर्नाटक का ₹200 की एकसमान सीमा वाला नियम एक अलग मिसाल पेश करता है.
बेंगलुरु में मंगलवार रात सरकार ने ऐलान किया कि अब कर्नाटक के किसी भी थिएटर में फिल्म का टिकट ₹200 से ज्यादा नहीं होगा. यह सीमा मनोरंजन कर सहित लागू की गई है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने इस साल बजट भाषण में इसका वादा किया था, जो अब औपचारिक रूप से लागू हो गया है. इसका सीधा फायदा उन दर्शकों को मिलेगा जो मल्टीप्लेक्स की ऊंची कीमतों के कारण फिल्म देखने से कतराते थे. पहले प्रीमियम शोज में टिकट ₹500 से ₹1000 तक पहुंच जाते थे. अब वो भी ₹200 में देखे जा सकेंगे.
कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (KFCC) और कर्नाटक फिल्म प्रदर्शक संघ ने इस फैसले का स्वागत किया है. इनका मानना है कि कम दाम की टिकट से कन्नड़ फिल्मों को नया जीवन मिलेगा. खासकर वो फिल्में जो हिंदी और तेलुगु ब्लॉकबस्टर्स के सामने टिक नहीं पाती थीं. मुख्यमंत्री का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक फैसला भी है. कन्नड़ सिनेमा राज्य की पहचान है और इसे आम लोगों तक पहुंचाना जरूरी है.
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तमिलनाडु और आंध्र ने पहले ही लिया था ऐसा कदम
कर्नाटक इस तरह का नियम लागू करने वाला पहला राज्य नहीं है. तमिलनाडु में टिकट की कीमत पहले से ₹60 से ₹200 के बीच तय है. वहीं आंध्र प्रदेश ने 2022 में थिएटरों को चार श्रेणियों में बांटकर अलग-अलग अधिकतम कीमतें तय की थीं. वहां मल्टीप्लेक्स की रिक्लाइनर सीट के लिए ₹250 तक का रेट तय है. तेलंगाना में भी टिकट की अधिकतम कीमत पर सीमा है, जहां सामान्य सीट के लिए ₹295 और प्रीमियम के लिए ₹350 तय किए गए हैं. हालांकि इन सभी राज्यों में कीमत थिएटर और सीट के हिसाब से बदलती है. कर्नाटक का मॉडल थोड़ा अलग है क्योंकि इसमें हर तरह की सीट और थिएटर पर एक समान ₹200 की सीमा लागू की गई है.
क्या मल्टीप्लेक्स को होगा नुकसान?
मल्टीप्लेक्स मालिकों ने आशंका जताई है कि इससे उनकी कमाई पर असर पड़ सकता है. उनका कहना है कि महंगे शोज और प्रीमियम सीटें ही उनके बिज़नेस को चला रही थीं. अब जब हर टिकट ₹200 में बिकेगी तो लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि सरकार का कहना है कि यह फैसला जनहित में है. उनका मानना है कि ज्यादा लोग थिएटर में आएंगे तो कम कीमत में भी संतुलन बना रहेगा. इंडस्ट्री बॉडीज़ ने भी यही राय दी है कि लंबी अवधि में इससे सिनेमा को फायदा ही होगा.
क्या यह मॉडल दूसरे राज्यों तक पहुंचेगा?
कर्नाटक की नई नीति उन राज्यों के लिए उदाहरण बन सकती है, जहां मल्टीप्लेक्स टिकट बेहद महंगे हैं. केरल में भी टिकट दरों को लेकर असंतोष रहा है, हालांकि वहां अब तक कोई ठोस नियम लागू नहीं हुआ है. अगर कर्नाटक में यह मॉडल सफल रहता है, तो मुमकिन है कि अन्य राज्य सरकारें भी इसी तरह का कदम उठाएं. आखिरकार सस्ती टिकट का मतलब है ज्यादा दर्शक और ज्यादा व्यस्त थिएटर, जो सिनेमा उद्योग को स्थायी बनाएगा.
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