UIDAI: अब हर स्कूल में मुफ्त आधार अपडेट की सुविधा शुरू, अभिभावकों को बड़ी राहत

Aadhar Card Update: आज के समय में एक महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज बन चुका है। इसका इस्तेमाल बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने व तमाम सरकारी व गैर सरकारी जगहों पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसे बनवाने व अपडेट कराने को लेकर लोगों का कुछ परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ( UIDAI ) ने बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट को लेकर बड़ा फैसला लिया है। दरअसल UIDAI स्कूलों के माध्यम से बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट करने की परियोजना पर काम कर रहा है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ भुवनेश कुमार ने बताया, देशभर में सात करोड़ से ज्यादा बच्चों ने आधार के लिए अपने बायोमेट्रिक अपडेट नहीं किए हैं। जबकि यूआईडीएआई के नियमों के अनुसार, पांच साल की आयु के बाद यह प्रक्रिया कराना अनिवार्य होता है।

स्कूलों को भेजी जाएगी बायोमेट्रिक मशीनें

अब UIDAI स्कूलों के जरिये माता-पिता की सहमति से बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट ( Biometric Aadhaar Card Update ) करने की योजना पर काम कर रहा है। यह योजना अगले 45 से 60 दिनों तक धरातल पर लागू हो सकती है। इससे आधार सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी और आपके बच्चे का बायोमेट्रिक अपडेट स्कूल में ही हो जाएगा। इस परियोजना के तहत, यूआईडीएआई हर जिले में बायोमेट्रिक मशीनें भेजेगा, जिन्हें एक स्कूल से दूसरे स्कूल में ले जाया जाएगा।

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सात साल की उम्र के बाद लगेंगे 100 रुपये

वहीं UIDAI के वर्तमान नियमों के अनुसार, बच्चे का बायोमेट्रिक अपडेट सात वर्ष की आयु के बाद भी अपडेट नहीं होता है, तो आधार निष्क्रिय हो जाएगा। वहीं आधार अगर पांच से सात वर्ष की आयु के बीच अपडेट कराया जाता है तो यह फ्री में अपडेट होगा। जबकि सात वर्ष की आयु के बाद 100 रुपये का शुल्क देना पड़ेगा।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का उद्देश्य स्कूल में दाखिला, प्रवेश परीक्षाओं के लिए पंजीकरण, छात्रवृत्ति का लाभ उठाने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाओं आदि जैसी सेवाओं का लाभ (जहां भी लागू हो) उठाने में आधार के निर्बाध उपयोग को सुनिश्चित करना है।

कॉलेजों में भी प्रक्रिया लागू करने की योजना

UIDAI के सीईओ ने आगे का प्लान बताते हुए कहा, ‘हम स्कूलों और कॉलेजों में दूसरी अपडेट प्रक्रिया लागू करने की योजना बना रहे हैं, जो बच्चों के 15 साल की उम्र पूरी करने के बाद की जाती है।’ फिलहाल, नवजात शिशुओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों का आधार उनके ‘बायोमेट्रिक’ के बिना ही बनाया जाता है।

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