Child education right: केंद्र सरकार ने बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमों में संशोधन किया है। नए नियम में अब ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। इससे अब राज्यों को पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को परीक्षा में फेल होने पर भी अगली कक्षा में भेजने की बाध्यता से मुक्ति मिल गई है।
शिक्षा अधिकार नियमों में संशोधन
इस व्यवस्था को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने ओडिशा बाल निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार नियम, 2010 में संशोधन किया है. यह निर्णय भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2023 में आरटीई अधिनियम में किए गए संशोधन के अनुरूप है, जो राज्यों को कक्षा 5वीं और 8वीं में छात्र मूल्यांकन का अधिकार देता है.
पुनर्परीक्षा में भी फेल तो होगी कक्षा में रोक
संशोधित नियम के तहत 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में असफल हो जाने वाले विद्यार्थियों को दो महीने के दोबारा परीक्षा देनी होगी। यदि वे दोबारा भी सफल नहीं होते हैं तो उनको अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि पांचवीं और आठवीं कक्षा में सभी प्रयास करने के बाद यदि रोकने की आवश्यकता पड़े तो रोका जाए। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि आठवीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाए।
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हम यह भी चाहते हैं कि बच्चों का लर्निंग आउट कम बेहतर हो। इसको प्रयास में लाने के लिए पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान भी दिया जा सकेगा। नियमों में किये गये बदलावों से यह संभव हो सकेगा।
क्या है नियम
संशोधित नियमों के अनुसार, राज्य प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा 5 और 8 में नियमित परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं और यदि कोई छात्र असफल होता है तो उन्हें अतिरिक्त निर्देश दिया जाएगा और दो महीने बाद परीक्षा में फिर से बैठने का मौका दिया जाएगा। यदि कोई छात्र इस परीक्षा में पदोन्नति की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है, तो उन्हें कक्षा 5 या कक्षा 8 में ही रोक दिया जाएगा।
हालांकि, आरटीई अधिनियम इस बात पर जोर देता है कि किसी भी बच्चे को कक्षा 8 पूरी करने तक स्कूल से नहीं निकाला जाएगा। प्रधानाचार्यों को अनुत्तीर्ण बच्चों की सूची बनाए रखने, सीखने में अंतराल की पहचान करने और इन कक्षाओं में अनुत्तीर्ण बच्चों के लिए विशेष इनपुट के प्रावधानों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करनी होगी।
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