8th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच इन दिनों 8वें वेतन आयोग को लेकर काफी चर्चा है। यह सवाल हर जगह है – “क्या अब सरकारी कर्मचारियों का वेतन दोगुने से भी ज़्यादा हो जाएगा?” इसका जवाब जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। दरअसल, फिटमेंट फ़ैक्टर को लेकर आम धारणा पूरी तरह सही नहीं है।
फिटमेंट फ़ैक्टर क्या है?
यह एक गुणांक है जिसे मौजूदा मूल वेतन से गुणा किया जाता है। इसी आधार पर नया मूल वेतन तय होता है। 7वें वेतन आयोग में यह फ़ैक्टर 2.57 था, जिससे न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया। लेकिन क्या इससे कुल वेतन 2.57 गुना बढ़ा? नहीं! दरअसल, उस समय कुल वेतन में औसतन केवल 14.3% की वृद्धि हुई थी।
8वें वेतन आयोग में क्या हो सकता है?
एम्बिट कैपिटल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.46 के बीच रहने का अनुमान है, यानी अगर किसी कर्मचारी का मौजूदा मूल वेतन 50 हज़ार रुपये है, तो नई सिफ़ारिशों के अनुसार, यह 91,500 रुपये से 1,23,000 रुपये के बीच हो सकता है।
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लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि और भी कम हो सकती है, क्यों?
8वें वेतन आयोग के लागू होने पर, महंगाई भत्ते (DA) को मूल वेतन में समायोजित किया जाएगा और फिर उसे रीसेट किया जाएगा। इसी तरह, अन्य भत्तों की गणना भी नए मूल वेतन के आधार पर की जाएगी। एम्बिट की रिपोर्ट के अनुसार, अगर फिटमेंट फैक्टर 2.46 तक भी है, तो वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 30% से 34% के बीच ही होगी।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर सरकार फिटमेंट फैक्टर को न्यूनतम स्तर यानी 1.8 पर रखती है, तो वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 13% तक सीमित रह सकती है। यह उन लोगों के लिए बड़ी निराशा हो सकती है जो दोगुने या ढाई गुना वेतन की उम्मीद कर रहे हैं। इससे साफ़ है कि फिटमेंट फ़ैक्टर यानी कुल वेतन में उतनी वृद्धि नहीं हुई है जितनी आम जनता मान रही है।
सरकार की क्या तैयारी है?
अभी तक सरकार ने 8वें वेतन आयोग के संदर्भ की शर्तों (ToR) की औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं की है, यानी यह प्रक्रिया 7वें वेतन आयोग से काफ़ी बाद में चल रही है। 8वें वेतन आयोग को 1 जनवरी, 2026 से लागू होना था, लेकिन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और आधिकारिक अधिसूचना जारी होने में देरी को देखते हुए, अब इसका वास्तविक कार्यान्वयन 2027 तक टल सकता है।
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